दुःख में किसी का साथ मत छोड़ना | Motivational Story In Hindi

दुःख में किसी का साथ मत छोड़ना | Motivational Story In Hindi




Motivational Story In Hindi

 एक बार एक शिकारी शिकार करने के लिए जंगल में पहुंचा। उसने अपने तीर पर बहुत ही खतरनाक जहर लगाया और शिकार को निशाना बना करके उसने तीर को छोड़ा लेकिन उसका तीर चूक गया और तीर एक पेड़ पर जा लगा। वह पेड़ बहुत ही हरा-भरा और बहुत सारे तोते उस पेड़ पर रहते थे।





• जैसे ही वह जहरीला तीर उस पेड़ पर जाकर लगा वह पेड़ धीरे-धीरे सूखने लगा और उस पेड़ पर जो भी तोते रहते थे वह एक-एक करके उस पेड़ को छोड़कर जाने लगे।

• उस बड़े से पेड़ के कोटर में एक बहुत ही बूढ़ा तोता रहता था जो बहुत ही धर्मात्मा और अच्छे मन का था। सभी तोते उस पेड़ को छोड़कर जाने लगे थे लेकिन वह बूढ़ा तोता जाता था दाना लेकर के आता और उसी कोटर में आ करके बैठ जाता था परन्तु उस पेड़ को छोड़ने को तैयार नहीं था।



• बूढ़े तोते के साथियो ने कई बार आकर के उसे समझाया की यह पेड़ सुख रहा है और किसी दिन गिर भी जायेगा, चलो किसी और पेड़ पर चल कर रहा जाये परन्तु वह बूढ़ा तोता वहा से जाने को तैयार नहीं हो रहा था।

• अब यह बात देवराज इंद्र तक पहुंची उन्हें बताया गया की एक तोता है वह जिस पेड़ पर रहता है उस पेड़ पर एक जहरीला तीर लगने के कारण सूखने, गिरने और ख़त्म होने के कगार पर आ पंहुचा है। और एक बूढ़ा तोता अभी भी वही पर रह रहा है वह दाना लेकर आता है और वही पर रहता है जब की उस जंगल में बहुत सारे पेड़ है लेकिन वह उसी पेड़ पर रह रहा है।


यह भी पढ़ें:



• देव राज इंद्र प्रगट हुए और उस बूढ़े तोते से कहने लगे की आप बहुत धर्मात्मा है, बहुत ही अच्छे मन के है लेकिन आप इस पेड़ को छोड़कर किसी और पेड़ पर चले जाईये क्योकि यह पेड़ कुछ ही दिनों में गिर जायेगा। तालाब के पास में बहुत से बड़े-बड़े, हरे-भरे पेड़ है, बड़े-बड़े कोटर है उन पेड़ो पर फल भी लगे हुए है उन्हें वही पर तोड़कर खा सकते है, परन्तु यहाँ से आप चले जाये।

• तोता बोला माफ़ कीजियेगा, इस पेड़ ने मुझे जीवन दिया है शिकारियों से मेरी रक्षा की है, हर मौषम में मेरे साथ रहा है ये कोटर मेरा घर है यहाँ मै पला बढ़ा हूँ, इस पेड़ को मै छोड़कर कैसे जा सकता हूँ। इस पर संकट आया है तो क्या मै इसे छोड़कर चला जाऊ, मै ऐसा कभी नहीं कर सकता।

दुःख में किसी का साथ मत छोड़ना | Motivational Story In Hindi



• देवराज इंद्र तोते के इस बात से बहुत ही प्रसन्न हुए उन्होंने तोते से कहा मै आपके इस बात से बहुत ही खुश हूँ मागो जो आपको मागना हो। उस बूढ़े तोते ने कहा मुझे बस इतना मागना है की जिस पेड़ ने मुझे जन्म दिया, जहा मै रहा, पला बढ़ा जिसे आप मेरा जन्म भूमि कह सकते हो आप इसे फिर से वैसा ही हरा-भरा कर दीजिए जैसा यह था।

• देवराज इंद्र ने अमृत से उस पेड़ को सिच दिया और पहले की तरह हरा-भरा कर दिया। अब वापस से उस पेड़ पर आकर के बाकि तोते रहने लगे वह बूढ़ा तोता कुछ समय तक और जिन्दा रहा फिर उसकी मृत्यु हो गयी और वह स्वर्ग में चला गया। 


Note:  यह कहानी हमें सिखाती ये है की जब भी किसी इंसान का बुरा दौर आता है तो Emotionally वह टुटा हुआ होता है उसे किसी के सहारे की जरुरत होती है किसी की आवश्यकता होती है अगर आप ऐसे समय में उसे छोड़कर चले जायेंगे, उससे बात नहीं करेंगे मुँह मोड़ लेंगे तो आपसे बुरा कोई नहीं है क्योकि आप किसी के सुख का साथी बने या ना बने लेकिन आपको हमेशा किसी के दुःख का साथी जरूर बनना चाहिए स्वास्थ्य और मस्त रहिए नमस्कार।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने